जीवन के घोर अंधेरो में प्रकाश जो बनकर आए है हर लिए है दुख सारे खुशियों की फसल उगाई है मेरे गुरु विद्यासागर में मैने ज्ञान का सागर पाया है मम अज्ञानी को ज्ञान दिया एक नई पहचान बनाई है डूबते हुए एक तिनके को मेरे गुरु विद्यासागर ने आशीष कि डाल बढ़ाई है त्याग तपस्या की मूरत है प्रकृति सम स्वभाव है मेरे गुरु विद्यासागर जैसा इस धरा पर एक ही ज्ञानी है परेशानियां जब पस्त करे हालातो से जब घबराए है मेरी डूबती नौका को मेरे गुरु विद्यासागर उस पर लगाकर आए है अनुभव की सदा तरंगे बहे उनके मुख से खिरती वाणी में मेरे तो है बस एक ही ईश्वर वो है मेरे गुरुवर विद्यासागर vishal tk #jains #acharyashri #JAINSTAVAN