महफिलें शोर शराबा ढेरों मिली,मग़र भाती मुझे शांति, हाँथ मिलाने पहुँचे ढेरों.. मग़र सँग सँग साथ चले चाहा मैंने ऐसा साथी, हमनें भी क्या खुब इश्क़ लड़ाई, दिन के उजालों में सभी को हँसाया.. मग़र हम दोनों की रात कटी पूरी तन्हाई, मुझे खुबसूरत नहीं सच्चा यार चाहिए जो मिला भी, मग़र अपनों की खुशियां ही हमें रास आयी!! 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-93 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।