अधूरा सच ताला ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, जब तुझसे मैं मिला था। आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में, पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था। अब आरजू दिल से मिटाने लगी है। आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था। इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा, इख्त़ियार मेरा है,अब तेरा "ज़िक्र नहीं करूंगा" इन्तिज़ाम-ए-टोटका दिल पर करा रखा है। जब मैं तुझसे मिला था, तू मसरूफ़ रहा अपनी ज़िन्दगी में,"नाज़िम" हमने भी अपने दिल पर, पहली मोहब्बत का ताला लगा रखा है। ताला #ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, जब तुझसे #मैं मिला था। #आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में, पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था। अब #आरजू दिल से मिटाने लगी है। #आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था। #इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा,