.......... मौन की सामर्थ्य ...... व्यास जी महाभारत के प्रसंग बोलते गये और गणेश जी लिखते गये । बोलने की गति स्वभावत: लिखने की गति से अधिक होती है , तो भी व्यतिरेक न पड़ा । गणेश जी के लिखने में कहीं कोई व्यवधान न पड़ा । कार्य की समाप्ति पर सूत जी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि आपके ऊपर समझने और हाथ चलाने , कागज उलटने का अतिरिक्त श्रम पड़ा जबकि व्यास जी मात्र जोर से बोलते ही रहे । इतना अधिक कार्य आप किस प्रकार कर सके ? गणेश जी ने कहा ..….. मैं इस बीच सर्वथा मौन रहा । मौन से शक्तियों का एकीकरण जो होता है । उसे अपनाने वाले को सामर्थ्य की कमी नहीं पड़ती है । ॐ 🚩 २३/०६/२०१७ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' .......... मौन की सामर्थ्य ...... व्यास जी महाभारत के प्रसंग बोलते गये और गणेश जी लिखते गये । बोलने की गति स्वभावत: लिखने की गति से अधिक होती है , तो भी व्यतिरेक न पड़ा । गणेश जी के लिखने में कहीं कोई व्यवधान न पड़ा । कार्य की समाप्ति पर सूत जी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि आपके ऊपर समझने और हाथ चलाने , कागज उलटने का अतिरिक्त श्रम पड़ा जबकि व्यास जी मात्र जोर से बोलते ही रहे । इतना अधिक कार्य आप किस प्रकार कर सके ? गणेश जी ने कहा ..….. मैं इस बीच सर्वथा मौन रहा । मौन से शक्तियों का एकीकरण जो होता है । उसे अपनाने वाले को सामर्थ्य की कमी नहीं पड़ती है । ॐ 🚩 २३/०६/२०१७ 🌷👰💓💝