मैं भी विचलित, मन भी विचलित, सब अस्त- व्यस्त संसार लगे । आज इधर और कल उधर सब व्यर्थ का ही व्यापार लगे। न बदला कुछ, न बदला मैं, फिर कैसे बदलाव साकार लगे। छोड़ नए कामों को अब, वापस जाने के ही आसार लगे।... 30th