जैसे जैसे उम्र बढ़ी खुशियों के सारे राग गये बचपन के लंगोटिये भी लंगोट लेकर भाग गये कुँवर अरुण तुम हमे अपनी खाके पा भेजो उसको भेजो सबा सबा भेजो कुछ तो रिश्ता है तुमसे #कमबख्तो कुछ नहीं तो कोई बद्दुआ भेजो