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वो बैठे है कुछ बुझे बुझे से अतीत के सागर में डूबे

वो बैठे है कुछ बुझे बुझे से
अतीत के सागर में डूबे से
ना खबर सुबह की ना ह़ोश
शाम का गम की खाई इतनी
गेहरी है निकलना चाहा
और धंसती चली गई तुफानो
मे घिरती चली गई  मानो
सूनामी आई और पूरी
ड़ूबो कर चली गई

©Babita Buch
  #गम#का साया
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Babita Buch

New Creator

#गम#का साया #विचार

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