क्यों उकलाना समझा फ़लक तूने दिवाकर से इसके तेज अँगार, ओर भी कई तदबीर हैं ख़फ़ा होने कि, जो किया तु ख़फ़ा के लिए इसे तेयार, मैं बेसुध धरा वैसे ही हूँ अन्तःकरण में हुए फफोलें के घावों से दिन-ब-दिन फिर क्यों ताव से ज़ख्म को जलन दे रहा। फ़क़त हैं ग़ुरूर तुझे तेरी रहमत पे तो, करा दे ज़ख्मो पर मरहम मेघदूतों से बौछार ! -#ramkaran #opensky