White नीयत बिगड़ी तो घर बिखरा नीयत बिगड़ी तो घर बिखरा, खुशियों का आंगन सून हुआ। चाहत की बुनियाद डगमगाई, सपनों का हर रंग धुंधला हुआ। झूठ की आंधी चली अचानक, सच का दामन छूट गया। अपनों ने अपनों को ठुकराया, रिश्तों का हर मोड़ टूट गया। भरोसे की दीवार गिर गई, आस का दीपक बुझ गया। धन दौलत से भर गए दिल, मगर प्रेम का सागर सूख गया। समझ के धागे कमजोर हुए, अपनी अहमियत में जो थे अंधे। तिनका-तिनका बिखरा घर का आंगन, जब स्वार्थ ने अपनी जड़ें गहरे गाढ़े। नीयत अगर सच्ची होती, घर भी स्वर्ग सा खिलता। पर अब सब बिखरा हुआ है, क्योंकि नीयत ही बदल गई है। ©aditi the writer #sad_quotes आगाज़