Nojoto: Largest Storytelling Platform

अच्छा तो होता तुम ना आते पतझड़ जैसा आकर कर जाते हो

अच्छा तो होता तुम ना आते
पतझड़ जैसा आकर
कर जाते हो बेजान गुलों को
कांटे ही कांटे रह जाते हैं।
तुम्हारे जाने के बाद।

भरी दोपहरी
अपने को समेट कर
जान बचा रहीं पत्तियों को
तुमने कब देखा
कब देखा तुमने
मुरझा रहे तनों को

सींचना तुम्हे आता ही नहीं
खिलना तुम्हारा स्वभाव भी नहीं
महक भी छीन ले जाते हो
आखिर तुम भी
बसंत की ऊपज हो

सीख क्यों नहीं लेते सदाबहार रहना
जब भी आते हो
बस उजाड़ कर चले जाते हो।

©SamEeR “Sam" KhAn #मुरझा
अच्छा तो होता तुम ना आते
पतझड़ जैसा आकर
कर जाते हो बेजान गुलों को
कांटे ही कांटे रह जाते हैं।
तुम्हारे जाने के बाद।

भरी दोपहरी
अपने को समेट कर
जान बचा रहीं पत्तियों को
तुमने कब देखा
कब देखा तुमने
मुरझा रहे तनों को

सींचना तुम्हे आता ही नहीं
खिलना तुम्हारा स्वभाव भी नहीं
महक भी छीन ले जाते हो
आखिर तुम भी
बसंत की ऊपज हो

सीख क्यों नहीं लेते सदाबहार रहना
जब भी आते हो
बस उजाड़ कर चले जाते हो।

©SamEeR “Sam" KhAn #मुरझा