जायजा लिया हालात का? जो ले लिया हो अगर फिर गर्व किस बात का? रुपये-पैसे, सोने-चांदी क्या इसी का है घमंड तुझे? एक कीटाणु का प्रकोप कर दिया ना गृह-बंद तुझे! अभी दिखे, अभी मिले पहली ही तो मुलाकात है फिर पूछ सकता कैसे तू क्या धर्म है क्या जात है? पूरी कविता यहाँ पढ़ें गर्व किस बात का जायजा लिया हालात का? जो ले लिया हो अगर फिर गर्व किस बात का? रुपये-पैसे, सोने-चांदी