गिरे साखों से पत्ते तो विटप रोया नहीं करते। परिंदे आंँधियों में भी कभी खोया नहीं करते। उदासी को समेटे क्यूंँ यहांँ बैठे हो तुम यारों, यूं गुमसुम हारकर हिम्मत कभी होया नहीं करते।। ❤सुप्रभात ❤ 👉🏻 प्रतियोगिता- 366 विषय 👉🏻 🌹"गुमसुम"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो।