जागा करते है जुगनू अक्सर रात में कभी ख्वाब में तो कभी सर्द रात में कभी बाहों के दरमियां तो कभी अक्सर तन्हाइयो में जागा करते है आशिक़ अक्सर उन जुगनुओं की तरह जो भली दूर से बहुत खुश दिखाई देते है पर रोते है अंधेरों में परछाइयों की तरह जगमगाते जरूर है पर बरसते है जब उनके आंसू पानी की तरह रोती है चाँदनी भी अपनी उजाले की बदकिस्मती पर की उनके आसुओ की वो बूंद चमकती है जमीन पर बिल्कुल उन जुगनुओं की तरह ...... #nojoto