क्या हैं आजाद अपने आप में हम! क्या हैं आजाद गुलिस्ताँ-ऐ-मदरे वतन में हम सोच विचार इतने संकीर्ण हुए,मत इतने विहीन हुए दिन निकल रहे सुखों से,फिर भी मन में कैसा गम! क्या हैं आजाद अपने आप में हम! नन्ही बच्ची को हवश से देखा जाता,पहनावे से आँखों को सेका जाता! जब हमारी ही बहन को देखे कोई,फिर क्यों होती हैं आँखे नम क्या सच में आजाद हो गए हम! स्वार्थ की इस दुनिया में ,कभी न दोस्ती में विलीन हुए सिर्फ मतलब से ही जग चलता,कौन मै और कौन तुम क्या सच में आजाद हो गए हम क्या सच में आजाद हो गए हम!! #क्याआज़ादहैहम #15अगस्त #स्वत्तन्त्र