हर शै मॆं अदाएं,आँसू भी बढ़िया निकला... आपकी आँख खोदा तो एक दरिया निकला..। और मै न कहता था कि,सफ़र बहुत लंबा है... एहसास ही तब हुआ जब इक पहिया निकला..। मैं एक रोज उसका क़त्ल करने वाला था... वो जो शख़्स मेरॆ जीने का ज़रिया निकला..। आदमी की ज़बान का कौन एतबार करे... कल अच्छा कहते थे अब वही घटिया निकला..। इक उम्र गंवा दी जिसे तलाश करते ‘ख़ब्तुल’... वो मॆरा यार आज मेरॆ दरमियाँ निकला..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 अदाएं