ऐ मन क्यों रोता है टूटे फूलों पे, की और भी रंगीनियां है यहां बागानों में, यहां कोई मोहित नहीं होता रूठों पे, यहां सोच है कि लोग कहते है भरे समाजों में। मन मर्जियां करने को सोचता है कभी, पर थम जाता है अन्दर का समंदर भी किनारों पे, यहां किसी का साथ मिलता हूं नहीं है कभी, अक्सर लोग कहते है साथ देंगे विचारों पे। यहां एक विष के रंग बहुत मिलते है, मौत भी रंगीन भैंसे पे सवार है, यहां कोई सावित्री जैसी कहां खिलते है, लोग कहते है कि ये झूठा बुखार है। हम डरते है अक्सर लोगों की आहट पे, ये कौन है,क्या है, और कहां पे रहते है, हम कभी नहीं टिक पाते है अपनी चाहत पे, बस यूं ही डर जाते है कि लोग कहते है। लोग कहते हैं! लोग तो क्या कुछ नहीं कहते। जो वो कहते हैं क्या वो सही कहते हैं? Collab करें YQ DIDI के साथ। #लोगकहतेहैं