इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम सर झुकाने को नहीं कहते हैं सज्दा करना! इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम सर झुकाने को नहीं कहते हैं सज्दा करना|