मुंह में जाते ही हो जाती है आखें बंद जिसको ललचाए हर किसी का मन छोटा हो या बड़ा हर कोई है इसका दीवाना देख ले एक बार तो बिना खाए रहा नही जाए कही बोले पानी बताशा कही बोले गोल गप्पे कही बोले पानी पूरी बिना खाए जैसे रहती सारी इच्छाएं अधूरी आखों से निकले आशू फिर भी बार बार खाते है हर मौसम में पानी पूरी का लुत्फ उठाते है कुछ कुछ खट्टा कुछ कुछ मीठा है जायका इसका जिसने नही खाई पानी पूरी उसकी जिंदगी अधूरी रही फिर इंतजार किस बात का पहुंच जाओ खाने पानी पूरी ©Savita Nimesh #पानी#पूरी