जब से गये हो, तुम्हें देखा नहीं, सुना नहीं पर मैं समझती हूँ मेरे तुम्हारे वक़्त की फ़रियाद ने हमेशा सिर्फ़ एक ख़ामोशी पायी पर मैं समझती हूँ मैंने तुम्हारे साथ की आस में ज़िंदगी बितायी पर पायी सिर्फ़ कभी ना ख़त्म होने वाली रूसवायी पर मैं समझती हूँ साथ की चाह में ख़ामोश दीवारों में मैंने है ज़िंदगी बितायी पर मैं समझती हूँ अफ़सोस सिर्फ़ इतना है कि सब कुछ समझते हुए भी मैं आज भी अपने वजूद और सुकून को ढूँढती हूँ... बस सिर्फ़ यह ही नहीं समझती हूँ #musings #yqdidi #500