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मैं तुम्हारे बाणों का बिधा हुआ खग वक्ष पर घर शीश म

मैं तुम्हारे बाणों का बिधा हुआ खग वक्ष पर घर शीश मरना चाहता हूं मैं तुम्हारे हाथों का लीला कमल हुं प्राण के सर में उतरना चाहता हूं
        (रामधारी सिंह दिनकर)

©Anupam kumar singh
  रामधारी सिंह दिनकर (उर्वशी)

रामधारी सिंह दिनकर (उर्वशी) #लव

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