Nojoto: Largest Storytelling Platform

२ अक्टूबर १८६९ को आप अवतरण हुए, हम नमन आपक

२ अक्टूबर  १८६९  को  आप  अवतरण  हुए,  हम  नमन  आपको  करते हैं,
हे भारत  के  राष्ट्रपिता  महात्मा  गांधी, हम  श्रद्धा  सुमन अर्पित  करते हैं।
दांडी  मार्च  के  पर्यवेक्षक,  आपने  शांति  और अहिंसा  का  पाठ  पढ़ाया,
अपनी  अभिव्यक्ति की  आजादी  पाने  को, आमरण अनशन  सिखलाया।
प्रेम  अहिंसा  दया  तप  त्याग  बलिदान,  ये  सभी  गुण आपके  अंदर  थे,
बुरा  मत  सुनो, बुरा  मत  देखो, बुरा  मत  कहो, आपके ही  तीन  बंदर थे।
जब  दुस्साहसी  गोरों ने  चलती  ट्रेन से आपको, निकालकर  बाहर  किया,
उसी समय गोरों को भारत से निकालने का, हे महात्मन आपने प्रण किया।
ना बंदूक चलाई ना कोड़े बरसाए, बस आपने अपनी औकात को दिखलाई,
अधनंगा  शरीर  जैसे  कोई  फकीर, हर भारतीय को  गांधीगिरी  सिखलाई।
साहस  नहीं था  किसी भी  गोरे अफसरों में, जो सामना  आपका  कर पाए,
रधुपति  राघव  राजा राम, ईश्वर  अल्लाह  तेरो नाम, हर धर्म को  बतलाए।
३०  जनवरी  १९४८  को, जब  हिंसा ने  सत्य  अहिंसा पर  गोलियाँ  बरसाई,
लज्जित  हुआ था  विश्व सारा, पर  निर्लज्ज को  तनिक भी  दया  नहीं  आई।



   प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) 

विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि।

🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗

#ProverbsWorld.in #yqdidi #yqbaba #pwजयन्ती #PWcontest #PWchallenge #PW2ndOctR2 
  #YourQuoteAndMine
२ अक्टूबर  १८६९  को  आप  अवतरण  हुए,  हम  नमन  आपको  करते हैं,
हे भारत  के  राष्ट्रपिता  महात्मा  गांधी, हम  श्रद्धा  सुमन अर्पित  करते हैं।
दांडी  मार्च  के  पर्यवेक्षक,  आपने  शांति  और अहिंसा  का  पाठ  पढ़ाया,
अपनी  अभिव्यक्ति की  आजादी  पाने  को, आमरण अनशन  सिखलाया।
प्रेम  अहिंसा  दया  तप  त्याग  बलिदान,  ये  सभी  गुण आपके  अंदर  थे,
बुरा  मत  सुनो, बुरा  मत  देखो, बुरा  मत  कहो, आपके ही  तीन  बंदर थे।
जब  दुस्साहसी  गोरों ने  चलती  ट्रेन से आपको, निकालकर  बाहर  किया,
उसी समय गोरों को भारत से निकालने का, हे महात्मन आपने प्रण किया।
ना बंदूक चलाई ना कोड़े बरसाए, बस आपने अपनी औकात को दिखलाई,
अधनंगा  शरीर  जैसे  कोई  फकीर, हर भारतीय को  गांधीगिरी  सिखलाई।
साहस  नहीं था  किसी भी  गोरे अफसरों में, जो सामना  आपका  कर पाए,
रधुपति  राघव  राजा राम, ईश्वर  अल्लाह  तेरो नाम, हर धर्म को  बतलाए।
३०  जनवरी  १९४८  को, जब  हिंसा ने  सत्य  अहिंसा पर  गोलियाँ  बरसाई,
लज्जित  हुआ था  विश्व सारा, पर  निर्लज्ज को  तनिक भी  दया  नहीं  आई।



   प्रतियोगिता का द्वितीय चरण। (२ अक्टूबर) 

विषय - कविता, ग़ज़ल, पत्र, निबन्ध इत्यादि।

🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है। 🤗

#ProverbsWorld.in #yqdidi #yqbaba #pwजयन्ती #PWcontest #PWchallenge #PW2ndOctR2 
  #YourQuoteAndMine