हममें से कुछ लोगों का मानना है कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले अपने सांसारिक जिम्मेदारी से भागना है लेकिन आध्यात्मिक का रास्ता हमें दुनिया से मुंह मोड़ने को नहीं कहता हम जिस समाज में पैदा हुए हैं उसी में रहते हुए अध्यात्मिक के रास्ते पर चल सकते हैं हम अपने परिवार अपनी नौकरी परसों अपने पड़ोसी समाज के प्रति सभी दायित्वों को पहले की तरह निभाते हुए परमात्मा की आनंद में विकट में दाखिल हो सकते हैं यह जीवन को सार्थक बनाने का एक मार्ग है यह आंतरिक वाटिका की कुंजी सब के पास उपलब्ध है चाहे वह किसी भी राष्ट्रीय रंगिया धर्म से संबंधित हो ध्यान अभ्यास के जरिए हर व्यक्ति के द्वारा रचित अध्यात्म की ओर इस आनंद वाटिका में प्रवेश कर सकता है यदि हम प्रतिदिन ध्यान अभ्यास में समय दे तो हमें अनुभव होगा कि प्रभु आनंद स्वरूप में आनंद वाटिका में हमारा इंतजार कर रहे हैं हम पहुंचने पर प्रभु प्रतिभा हमें अपने गले से लगा लेती है फिर हमारा आत्मा उनके दिव्य प्रेम की धारा में बहते हुए प्रभु में लीन हो जाता है तब हमें एहसास होता है कि प्रभु हर पल हमारे साथ है और फिर हमारे रोम रोम से प्रभु की शुभम आने लगती है हमारे दिल में प्रभु से मिलने की इतनी तड़प है उससे कहीं ज्यादा तड़प प्रभु के दिल में हमारे आत्मा से मिलने की है इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी याद को हर पल अपने दिल में बनाए रखें ©Ek villain #प्रभु प्रेम #Moon