कुछ रातें ऐसी कटिली होती हैं, लगता है कहीं फिर से न आए, मायावी नागीन तन्हाई की, दिखे बिना हीं डसती जाए। एक सुनापन हीं नहीं खलता यहां, कुछ जिम्मेदारियों के बोझे भी हैं, रातों में जो और भी, वजनी लगने लगते हैं। कल होगा नया सवेरा, होगी नई उमंगें, साथ हो जाए रब अपने, थोड़ी होंगी पूरी आशायें, कम हो जाएगा थोड़ा, उत्तरदायित्व का बोझ, ऐसे नए सवेरे की उम्मीद में, कट जाती हैं ये रातें रोज़।। #नयासवेरा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi