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बादल की कहानी टिमटिमाते तारों के अम्बर तले । दोज

बादल की कहानी

टिमटिमाते तारों के अम्बर तले ।

दोज़ख़ का संसार बसा रहा ।।

यह संज्ञान किसी को न हो सका ।

इंसान होने का कितना दुख हो रहा ।।

क्षण एक मंडराता बादल आया ।।

घेर धरा चहुँ ओर दिशा से ।

अमृत रस उसने बरसाया ।।
 
टप टप करता मेघ का पानी ।

अम्बर के सबसे उच्च शिखर से ।।

अनन्त जल बरसाता है ।

ये बूंदों से अपने संगीत धुन सुनाता है ।।

नरक रूपी इस धरती पर ।

इंसान करता है इंसानियत का तिरस्कार ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 
(भाग-1) बादल की कहानी
बादल की कहानी

टिमटिमाते तारों के अम्बर तले ।

दोज़ख़ का संसार बसा रहा ।।

यह संज्ञान किसी को न हो सका ।

इंसान होने का कितना दुख हो रहा ।।

क्षण एक मंडराता बादल आया ।।

घेर धरा चहुँ ओर दिशा से ।

अमृत रस उसने बरसाया ।।
 
टप टप करता मेघ का पानी ।

अम्बर के सबसे उच्च शिखर से ।।

अनन्त जल बरसाता है ।

ये बूंदों से अपने संगीत धुन सुनाता है ।।

नरक रूपी इस धरती पर ।

इंसान करता है इंसानियत का तिरस्कार ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 
(भाग-1) बादल की कहानी
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