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जो फैलाने चले हैं मुल्क़ में दहशत धमाकों से , वही छ

जो फैलाने चले हैं मुल्क़ में दहशत धमाकों से
,
वही छुपते फिरा करते हैं इक मुद्दत धमाकों से.

न ख़बरों में उछाल आया, न बाज़ारों में सूनापन
,
न बिगड़ी मुल्क़ के माहौल की सेहत धमाकों से.

वही हल्ला, वही चीखें, वही ग़ुस्सा, वही नफ़रत
,
हमें अब हो गई इस शोर की आदत, धमाकों से.

ये दहशतग़र्द अब इस बात से आगाह हो जाएँ
,
कि अब आवाम की बढ़ने लगी हिम्मत धमाकों से.

वज़ूद अपना जताने के लिए वहशी बने हैं जो,
उन्हें हासिल नहीं होती कभी शोहरत धमाकों से.
जो फैलाने चले हैं मुल्क़ में दहशत धमाकों से
,
वही छुपते फिरा करते हैं इक मुद्दत धमाकों से.

न ख़बरों में उछाल आया, न बाज़ारों में सूनापन
,
न बिगड़ी मुल्क़ के माहौल की सेहत धमाकों से.

वही हल्ला, वही चीखें, वही ग़ुस्सा, वही नफ़रत
,
हमें अब हो गई इस शोर की आदत, धमाकों से.

ये दहशतग़र्द अब इस बात से आगाह हो जाएँ
,
कि अब आवाम की बढ़ने लगी हिम्मत धमाकों से.

वज़ूद अपना जताने के लिए वहशी बने हैं जो,
उन्हें हासिल नहीं होती कभी शोहरत धमाकों से.
ashokkumar2333

Ashok Kumar

New Creator