किसी के पूछने पर दिल की दास्तां यूं कहा, एक लड़की को देखा खुद पर नियन्त्रण न रहा मैं उसकी आँखों पर जानो जिगर से मर बैठा, जिक्र उसका मैं अपनी शायरी में कर बैठा फिर तो पूछे बिना यारों से भी रहा न गया, जिक्र उनका हो ए उनसे भी तो सहा न गया और पहचान वाले उंगलियां उठाने लगें जो भला कहते थे वो ही कमी गिनाने लगें फिर उनके प्रश्नों ने दिल का करार ले डाला, बिना कुछ सोचे हि आरोपी करार दे डाला जिनसे नफरत है उन्हेंं शख्स एक बस हम हैं, हमसे कुछ तो किया उन्होंने ये कहां कम है एक अर्जी है उनसे कि हमें वो माफ कर दें खता मेरी है या उनके भोलेपन की वो इनसाफ कर दें by.baghel किसी के पूछने पर दिल की दास्तां यूं कहा, एक लड़की को देखा खुद पर नियन्त्रण न रहा मैं उसकी आँखों पर जानो जिगर से मर बैठा, जिक्र उसका मैं अपनी शायरी में कर बैठा