अब मुक़द्दर को आज़माना हे, मुझे छोडना पिछे यह ज़माना हे, अबतो परवाज़ ला मकां तक होगी, मुझे नज़र बस रफतार को बडाना हे। ✍️ शाह नवाज़ नज़र अली ©shahnawaz nazar official hosla afzai zaroor kare #MereKhayaal #truelines #Poetry #THUGLIFE #Nojoto #kavita #fourlinespoetry