मेरी पहचान ही कुछ ऐसी है... शिकायत करूँ भी तो क्या ? ऐ जिन्दगी, तुझसे जिद्दी हम भी बगैर दिल के धड़कने का हौंसला रखते हैं | हम शेरों के ओ बादशाह हैं जो शेरों के मुख में भी शेर मारते चलते हैं | माना कि देखने में हम थोड़ा अनाड़ी लगते हैं, पर हमारे बहादुरी के कारनामों के चर्चे हमारे पदचिन्हों के साथ चलते हैं | हम प्रेम के पर लगा के चलने वाले ओ प्राणी हैं, जहाँ भी जाते हैं प्रेम के जाल बिछाते चलते हैं | - दुर्गेश बहादुर प्रजापति मेरी पहचान ही कुछ ऐसी है...