अब न अग्नि के फेरे होंगे विरह अग्नि में हम अकेले होंगे। साँसों की न मीत मिलेगी प्रीत से न अब प्रीत मिलेगी।। सात वचन में हम नहीं होंगे प्रिय अब हम तुम नहीं मिलेंगे। अब न डर बिछुड़न का होगा रंग रंग में बस तू ही होगा। हाँ अब तुझसे आस नहीं है बात मेरी बस इतनी सी है।। प्रेम अश्रु अब नहीं बहेंगे संसय दीपक नहीं जलेंगे। प्रिय जब हम तुम नहीं मिलेंगे।। चंचल चपल मेरा ये मन कपट कलन्कित मेरा जीवन। साथ तुम्हारे हम न चलेंगे प्रिय अब हम तुम .... विरह अग्नि में हम जलेंगे।। अब ना साथ हमारा होगा मुझसे भी कोई प्यारा होगा । सुन्दर स्थिर जिसका हो मन वही तुम्हारा होगा जीवन ।। रातों को हम नहीं जगेंगे, विरह अश्रु अब नहीं बहेंगे प्रिय जब हम तुम नहीं मिलेंगे #श्रीश # #प्रिय अब हम तुम नही मिलेंगे