सपनों की दुनिया को जीतने के लिए, काश ! हमने वास्तविकता को थोड़ा पहचान लिया होता...... आसमान को छूने के अरमान लिए, काश ! हमने जमीं की अहमियत को पहचान लिया होता..... चुर हो गए हम इतने जीत का जश्न मनाने के लिए काश ! हमने हार को भी कभी ध्यान से पढ़ लिया होता... जीते थे शान से कभी जिस हंसी को मुख पे लिए, काश ! हमने आज सपनों के बोझ तले उस आज दफन ना किया होता..... अरमान सजाया था जिस जीवन को शान से जीने के लिए, उन्हीं अधूरे अरमान के साथ आज मृत्युशैया पर लेटे यह सोच रहे थे, काश ! हमने यह जीवन थोड़ा जी लिया होता...!! ©maher singaniya अरमानों की दुनिया...