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कही ढलती शाम....कही जगते सपने.... क्‍यो सुख है अपन

कही ढलती शाम....कही जगते सपने....
क्‍यो सुख है अपने....क्‍यो दुख पराये....
जियारे सन्‍ग,काले बादल भी तो आये.... सच्चाई......
 Rahul Solanki
कही ढलती शाम....कही जगते सपने....
क्‍यो सुख है अपने....क्‍यो दुख पराये....
जियारे सन्‍ग,काले बादल भी तो आये.... सच्चाई......
 Rahul Solanki