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अगर बरस जायेगी तो वरना मेरे अश्क ही काफी है मुझे भ

अगर बरस जायेगी तो
वरना मेरे अश्क ही काफी है मुझे भिगोने को..

करती क्या हो तुम दिन भर...??
क्रोंध गया था ये सवाल...
अस्तीत्व पर प्रशन चिन्ह सा..

हम हाउसवाइफ बेरोजगार हैं.. 
इसलिए आराम से तुम सब रोजगार करते हो.. 
आगे से पूछना कभी.. तो बतलाऊंगी.. 
पूरा हिसाब अपनी बेरोजगारी का...

शेष अनुशीर्षक में पढ़े.... करती क्या हो तुम दिन भर...??
क्रोंध गया था ये सवाल...
अस्तीत्व पर प्रशन चिन्ह सा..

हिल गई थी अंदर तक
सोचती रही रात भर.. 
आंखों से अश्रु रुकने का नाम ही ना ले रहे थे..
दिल में अपने लिए नकारात्मक सोच
अगर बरस जायेगी तो
वरना मेरे अश्क ही काफी है मुझे भिगोने को..

करती क्या हो तुम दिन भर...??
क्रोंध गया था ये सवाल...
अस्तीत्व पर प्रशन चिन्ह सा..

हम हाउसवाइफ बेरोजगार हैं.. 
इसलिए आराम से तुम सब रोजगार करते हो.. 
आगे से पूछना कभी.. तो बतलाऊंगी.. 
पूरा हिसाब अपनी बेरोजगारी का...

शेष अनुशीर्षक में पढ़े.... करती क्या हो तुम दिन भर...??
क्रोंध गया था ये सवाल...
अस्तीत्व पर प्रशन चिन्ह सा..

हिल गई थी अंदर तक
सोचती रही रात भर.. 
आंखों से अश्रु रुकने का नाम ही ना ले रहे थे..
दिल में अपने लिए नकारात्मक सोच