दरिया सी हो तुम गहराई में तुम्हारे, हैं राज बहुत सारे। भटकता हूँ तुममें जब, तब वही राज मेरे बनते हैं सहारे। और तुम, लहरें उठाती हो, किनारे लगाती हो, फिर एकदम शाँत हो जाती हो। दरिया सी हो तुम। मैं ये राज, अपने अंतर्मन में, समाहित कर रहा हूँ, तुम्हारा, धन्यवाद कर रहा हूँ। दरिया सी हो तुम। #दरिया_सी_हो_तुम