#समरसता एक आँसू एक सिसकी एक क्रंदन और एक क्षोभ बस.... फिर खो देगी धरा अपनी समरसता..! तब.. अतिरेक क्षार के बोझ से उफनने लगेंगे समुद्र..! आँखों की रिक्तता से तर जाएगा आसमान..। विषाद/अवसाद से ढक जाएँगे पहाड़-जंगल..। पर ऐसा होगा नहीं..!!!!! एक आस एक विश्वास और एक मुस्कान से.. बना रहेगा.. संतुलन..। नाभि पर अपनी, साध लेगी धरा.. गहरे से गहरा, खारे से खारा समुद्र..। अनघ किलकारियों से फूट पड़ेंगे जलप्रपात और नदियाँ..! तितलियों के रंगों और पक्षियों की चहचहाहट से भर जाएगी, आसमान की रिक्तता..। हल के एक प्रहार से.. कोंपलों के स्फुटन से.. चटक जाएगा पहाड़ों-जंगलों को घेरता गहरे से गहरा संताप..। हर क्षोभ, हर विषाद और हर अवसाद पर भारी है.. एक मुस्कान एक सृजन और एक उम्मीद..!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #समरसता एक आँसू एक सिसकी एक क्रंदन और एक क्षोभ बस.... फिर खो देगी धरा