बड़े जतन से मेने सम्भाला था इस नादान दिल को तेरे दूर जाने की बात सोच कर ही मुझ से रूठ गया सब्र का बांध मेरा टूट गया आंसुओ का दरिया छूट गया राहों के फूल बन बैठे कांटे कांटों से दिल घायल हो गया ख़्वाबों से सजा था आईना दर्द की आहट से वो टूट गया हार गया मेरा रब सा इश्क़ जात-पात के दलदल में फंस कर 🎀 Challenge-408 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।