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रोज मरते हजारों लोग यहां पे यार की खातिर, फक़त तुम

रोज मरते हजारों लोग यहां पे यार की खातिर,
फक़त तुम ही नहीं आते मेरे दीदार की खातिर..!!

पता न था मोहब्बत का फिर भी दिल लगा बैठे,
जहर निकली दवाई ही इस बीमार की खातिर..!!

कभी खुद को रुलाने से कभी तुमको मनाने तक,
कई किरदार हैं बदले तेरे किरदार की खातिर..!!

यहां अपने ही जख्मों पर मुझे मरहम लगाते देख,
सभी कहते हैं मैं पागल हूं इक मक्कार की खातिर..!!

तेरे घर से जो गुजरूं तो धड़कता है मेरा दिल और,
कदम रुकते हैं तेरी पायल की झनकार की खातिर..!! तुम ही नहीं आते मेरे #दीदार की #खातिर ..

✍️ उत्तम दीक्षित

#udquotes 
#udghazals 
#uttam_matwala 
#मोहब्बत
रोज मरते हजारों लोग यहां पे यार की खातिर,
फक़त तुम ही नहीं आते मेरे दीदार की खातिर..!!

पता न था मोहब्बत का फिर भी दिल लगा बैठे,
जहर निकली दवाई ही इस बीमार की खातिर..!!

कभी खुद को रुलाने से कभी तुमको मनाने तक,
कई किरदार हैं बदले तेरे किरदार की खातिर..!!

यहां अपने ही जख्मों पर मुझे मरहम लगाते देख,
सभी कहते हैं मैं पागल हूं इक मक्कार की खातिर..!!

तेरे घर से जो गुजरूं तो धड़कता है मेरा दिल और,
कदम रुकते हैं तेरी पायल की झनकार की खातिर..!! तुम ही नहीं आते मेरे #दीदार की #खातिर ..

✍️ उत्तम दीक्षित

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#मोहब्बत
uttamdixit7701

Uttam Dixit

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