कभी कभी कुछ रास्ते खुद तय करने होते है जैसे लिखना दूसरे इश्क का प्रेमपत्र ढूंढना तीसरे पेग के बाद घर का रास्ता चौथे के बाद जाकर आँसू बहाना, उठाना शादी में पाँचवा रसगुल्ला बदलना छठी के बाद उसको देखने का तरीका, कभी कभी कुछ रास्ते खुद तय करने होते है शुरू करना बातचीत, सात फेरे के बाद पड़ोसन से, मुस्कुराना आठ घंटे गधे के तरह काम करने के बाद, देखना सास बहू का सीरियल नौ बजे तक संवारना बालो को, दस किलो के पेट के साथ और ये सब पहले इश्क के बाद होता है, जो आप दूसरे के कहने पर करते हो, कभी कभी कुछ रास्ते खुद तय करने होते है ©Chirag Joshi #hindi_poetry