खेत और खलिहान खरीदे, दिल में कुछ अरमान खरीदे, करते रहे मोहब्बत उनसे, जितने भी बेज़ान खरीदे, आजीवन चुकता ना होवे, कुछ ऐसे एहसान खरीदे, लहरों से हो गई मुहब्बत, घर में ही तूफ़ान खरीदे, आता-जाता रहे शज़र पे, कुछ पंछी अनजान खरीदे, शासन सत्ता के डर से ही, हमने कुछ दीवान खरीदे, तलवारें हो जाए न जंगी, रखने को कुछ म्यान खरीदे, ज्ञानचक्षु खुल जाए 'गुंजन', गीता और पुराण खरीदे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अरमान खरीदे#