टुकड़ों की ज़िन्दगी जीते हो रोज़ रोते हो रोज़ वहीं मरते हो पहले घर की रोटी तोड़ते हो फिर बाहर काम के लिए झगड़ते हो आखिर रोज हाफ्ते हाफ्ते कुते जैसी ज़िन्दगी तो तुम सब ही जीते हो उसने मुझसे यह कहा था..✍️