चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... वो खेल-कूद, वो शरारतें दोबारा कर जाएं। चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... पेड़ पर चढ़ना, ऊंचाई से कूदना, यूं बेफिक्र जिंदगी जीना, चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... वो कागज़ की नाव, वो मिट्टी में खेलना, खेतों की हरियाली में खो जाना वो मासूम सी जिंदगी फिर से मिल जाए। चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... वो स्कूल की शरारतें, होमवर्क के बहाने, चोटों को छुपाना,दिल खोलकर हंसना फिर से मिल जाए। चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... ना अमीरी-गरीबी की फिक्र, न जाति की लड़ाई, वो मौज-मस्ती की जिंदगी फिर से मिल जाए। चलो फिर एक बार बच्चे बन जाएं... ©Sudha Betageri #sudha