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सर्द रात में ना जानें कितने लोग ठिठुर रहे थे हमनें

सर्द रात में ना जानें कितने लोग ठिठुर रहे थे
हमनें रात पश्मीने की चादर ओढ़ रखे थे
भला निंदिया रानी कैसे रूढती हमसे #gulzar #poetry #preetipathari #myword

🙏
सर्द रात में ना जानें कितने लोग ठिठुर रहे थे
हमनें रात पश्मीने की चादर ओढ़ रखे थे
भला निंदिया रानी कैसे रूढती हमसे #gulzar #poetry #preetipathari #myword

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