हिजाब औरत को गुलाम बनाने की साजिश है जिस पर कभी खुलकर बात नहीं हुई शर्म आती है जब भी जॉब के लिए मांगना आंदोलन करती नजर आती है आजाद के आधुनिक युग में रोड़ा वाली सूची का अंत होना चाहिए जैसे सत्ता प्राप्ति पर्दा तथा जैसे कुप्रथा दम तोड़ दिया वैसे ही हमारी मुस्लिम है ने भी अपनी अधिकार पाए और जॉब से मुक्ति आज जब मुस्लिम महिलाओं को कहते सुना जाता है कि जब उनके जीवन की पहली प्राथमिकता है और शिक्षा उसके बाद तो लगा जरूर शिक्षा व्यवस्था में कुछ कमी रह गई और जो अपने साथ हो रहे शोषण को पहचानना पा रही है विवश है कानून में जरूर महिलाओं की बराबरी दी गई है लेकिन सामाजिक का परिवारी के लिए आज भी संघर्ष चल रहा है इस्त्री को इस शतक बनाने के लिए हमारे देश में शासन व्यवस्था योजना में 100 महिलाओं को समाना संदलन के लिए गुण कानून के एक समय था जब दूसरे और बोर्ड को सौंप दिया तक का अधिकार नहीं था लंबी लड़ाई लड़ने के बाद यह संभव हो पाया कि समानता बाहुबल ने अपनी पुस्तक स्तरीय परीक्षा में लिखा है कि औरत पैदा नहीं होती बल्कि बना दी जाती है यह हिजाब के लिए संघर्ष करने वाली औरत खुद नहीं है बनी ना इसके खुदा ने ऐसा किया को कहा बल्कि धर्म के ठेकेदारों ने से बनाया है ©Ek villain औरत को गुलाम रखने की साजिद #kissday