काफी दिनों बाद एक सकून सा महसूस हो रहा है ।। जैसे बिछड़े हुए बच्चो को अपनी मां का आंचल मिल गया हो।। जैसे काफी दिनों से प्यास से तड़पते हुए बच्चो रूपी इन पौधों की प्यास बुझ गई हो।। ये मंद- मंद बरसती बारिश की बूंदे ऐसा महसूस करवा रही है, जैसे प्रकृति अपने बच्चो रूपी इन छोटे छोटे जीव- जंतुओं पर अपना स्नेह लूटा रही हैं।। छत पर बैठे इन पक्षियों की कतार मान लो जैसे मोन रहकर इस धीमी धीमी बारिश का आंनद उठा रहे हैं।। वास्तव में आज काफी दिनों बाद एक सकून सा महसूस हो रहा है।। प्रकृति का अपने बच्चो से मिलान।।❤️❤️❤️