स्त्रियाँ, बाँधती हैं, बालों में अपने, कल्पना का जूड़ा, एवं.. पिरो लेती हैं, जूही के फूलों सा प्रेम, व.. नम नैनों की कोरों पर, सजाती हैं, ख्वाहिशों के काजल की, इक पतली सी धार, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #पहला_अक्षर स्त्रियाँ, बाँधती हैं, बालों में अपने, कल्पना का जूड़ा,