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कैसी है ये जिंदगी (दोहे) कैसी है ये जिंदगी, नहीं

कैसी है ये जिंदगी (दोहे)

कैसी है ये जिंदगी, नहीं सका पहचान।
औरों को मैं देखता, फिर भी हूँ अनजान।।

भटक रहा किस राह में, नहीं मुझे संज्ञान।
कैसी है ये जिंदगी, समझा दो भगवान।।

विपदाओं से घिर रही, दिखे नहीं अब ठौर।
कैसी है ये जिंदगी, करे न कोई गौर।।

असमंजस में हैं फंँसे, बढ़े नहीं अब हाथ।
कैसी है ये जिंदगी, मिले कहाँ अब साथ।।

मुख दर्शक बन कर रहें, और दिखें लाचार।
कहती है सद्भावना, ये कैसा व्यवहार।।

रक्षक ही भक्षक बने, फिर भी हैं नादान।
कैसी है ये जिंदगी, खत्म करें ईमान।।

पल दो पल का ये सफर, क्यों करता उत्पात।
कैसी है ये जिंदगी, समझ न आती बात।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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कैसी है ये जिंदगी

कैसी है ये जिंदगी, नहीं सका पहचान।
औरों को मैं देखता, फिर भी हूँ अनजान।।

भटक रहा किस राह में, नहीं मुझे संज्ञान।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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