वक्त की दहलीज पर भला क्यों खड़ा है तू निर्जीवता का अहसास लिए भला क्यों पड़ा है तू वक्त को बताने चला है वक्त की कीमत तू पर वक्त तो खुद भी स्वयं के लिए ना रुका है यो तेरे रुकने से वो ना कभी रुकेगा तेरे थमने से वो ना कभी झुकेगा दौड़, भाग या फिर चल ये तो अब तेरे हाथ मे है वक्त की दहलीज पर भला क्यों खड़ा है तू | ©kirtesh #time #run #nojoto #poem