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डुबकी कभी कभी लगाया करो अच्छा लगेगा, इस शरीर पर मि

डुबकी कभी कभी लगाया करो अच्छा लगेगा,
इस शरीर पर मिट्टी से ज्यादा हक धूल का ही है।

चल आ गर्द उड़ाऐं फिर झाड़ा लगवा लेंगे,
नज़र तो पड़ चुकी है अब खेल बज़र-बट्टू का ही है। कुछ टूना हो तो कुछ टोटका करें,
चौराहे पर कुछ मसखरे तेल-फुलेल करें।
डुबकी कभी कभी लगाया करो अच्छा लगेगा,
इस शरीर पर मिट्टी से ज्यादा हक धूल का ही है।

चल आ गर्द उड़ाऐं फिर झाड़ा लगवा लेंगे,
नज़र तो पड़ चुकी है अब खेल बज़र-बट्टू का ही है। कुछ टूना हो तो कुछ टोटका करें,
चौराहे पर कुछ मसखरे तेल-फुलेल करें।