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माना शहर मुझे काम बुलाता है, मेरा मन मुझे गांव बुल

माना शहर मुझे काम बुलाता है,
मेरा मन मुझे गांव बुलाता है ।

 तेरे गांव के उस पत्थर वाले मकान की लकड़ी में दीमक लग गई है ,
तू लौट आ  बचा ले अपने घर को, जिसकी कई दफा कीमत लग गई है ।

वह देहली जिसमें तेरी अदाकारी दिखती थी ,
गेरुवे रंग के ऊपर श्वेत कलाकारी दिखती थी ,
वह देहली फिर से रंगने को तैयार है ,
अगले इतवार की छुट्टी में तेरे आने का इंतजार है ।

 छोड़कर अपने गांव वाले दो मंजिला घर को ,
निकल पड़ा हूं शहर किराए के मकान की तलाश में

 एक तरफ शहर का मतलबी इश्क है ,
दूसरी तरफ गांव का भोला भाला प्यार ।
शहर से इश्क करें तो गांव वाले छूट जाते हैं ,
और गांव से ईश्क़ करे तो शहर वाले रूठ जाते हैं । #MeraSheharalmora
माना शहर मुझे काम बुलाता है,
मेरा मन मुझे गांव बुलाता है ।

 तेरे गांव के उस पत्थर वाले मकान की लकड़ी में दीमक लग गई है ,
तू लौट आ  बचा ले अपने घर को, जिसकी कई दफा कीमत लग गई है ।

वह देहली जिसमें तेरी अदाकारी दिखती थी ,
गेरुवे रंग के ऊपर श्वेत कलाकारी दिखती थी ,
वह देहली फिर से रंगने को तैयार है ,
अगले इतवार की छुट्टी में तेरे आने का इंतजार है ।

 छोड़कर अपने गांव वाले दो मंजिला घर को ,
निकल पड़ा हूं शहर किराए के मकान की तलाश में

 एक तरफ शहर का मतलबी इश्क है ,
दूसरी तरफ गांव का भोला भाला प्यार ।
शहर से इश्क करें तो गांव वाले छूट जाते हैं ,
और गांव से ईश्क़ करे तो शहर वाले रूठ जाते हैं । #MeraSheharalmora