क्या लिखूँ मै तुम्हारे लिए, तुम तो मेरी जान हो। तुम्ही हो मजहब मेरा, और तुम्ही ईमान हो। एक पल के लिए तुम्हें, मै भुला पाता नहीं, नज़रों का मेरी नूर हो, ख़ुशियों का सामान हो। हैं ज़माने की ज़ुबाँ पर, हुश्न के चर्चे तेरे, तुम्हीं ज़मी हो हुश्न की, तुम्हीं आसमान हो। तेरी नज़ाक़त और नफासत, का कोई सानी नहीं, हो मलिकाए-अदा तुम, महफिलों की शान हो। जिसकी पड़ी तुम पर नज़र, दीवाना तेरा हो गया, "फिराक़", के लिए तो बस, शायराना बयान हो। क्या लिखूँ मैं तुम्हारे लिए... #क्यालिखूँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi