ये मोसम-ए-इश्क एक नई शाजिश सी लगती है उसे ज़हन से उतारने का खयाल लाते ही ज़हन में बुंदे आसमा से जमी तक का सफर तय करने लगतीं है। mausam-e-ishq #barish #for all the lovers